यूँ तो शादी में जाना सभी को अच्छा लगता हैं | जहाँ हमारे नये-पुराने और ऐसे रिस्ते शामिल होते हैं ,जो हमारे लिए बहुत ही सुखद और हर्शोलाश का माहोल तैयार करके रखते हैं तथा हम अपने नये - पुराने गीले सिकवे भूलकर अपने सभी रिस्ते - नातो और सबन्धो से मेल -मिलाप करने मे लग जाते हैं | मुझे भी शादी में जाना बहुत ही पसंद हैं क्योंकी यह हमारे दिनचर्या से अलग और कुछ नया अहसास व अनुभव का समय होता हैं और इसे मैं कदापि नही छोड़ता हूँ ......|
चलिये अपने विषय मे प्रवेश करते हैं ......
इस कड़ी में मैं अपने प्रिय गुरूदेव के बड़े सुपुत्र के शादी में गया हुआ था , जहाँ मेरे मित्र और मैं दोनों गये थे | हम दोनों में गहरी दोस्ती थी | हम सब पुरे रीति रिवाजो से अपने भाभी के गाँव में प्रवेश किए और यही वो पल हैं , जब उससे मैं मिला जो मेरी बहुत ही प्यारी सपनो की परी जैसे ही दिख रही थी ..........
हम सब मस्ती में बाजे-गाजे के साथ झूम ही रहे थे, पर मेरी नज़र उस मासूम और खूबसूरत चेहरा को देखा तो मैं देखता ही रह गया ......
पता नही इतना शोर - गुल का माहोल था ,वो पूरा शांत -शांत प्रतित हों रहा था ...... और वो सारी बातें जो मैने कल्पना किया था कि जो मेरी जिंदगी में शामिल होगी उसका व्यवहार और प्रकृति कैसी होगी ....?
यह सब बातें मुझे,उनसे प्रति उत्तर में मिल रहा हो ऐसा प्रतित हो रहा था .......मैं तो पूरा उसी के यादो में मदाहोश हों चुका था और उसी के ख्यालो में डूब गया था |
पता नही क्यू उस बीच उनकी सहेली आकर उसको वहाँ से लेकर चली गयी , पर मेरी नज़र भी उसी को चारों तरफ़ तलाश कर रहा था .........फिर क्या....?
अचानक वह मुझे द्वार पूजन में भैया -भाभी के साथ मिली और उसी पल उसकी नज़र भी मेरे ऊपर पड़ा .....और हम दोनों हलचल भरी समय में शांत शांत व ख़ामोशी से एक - दूसरे को देखते रह गये ........ऐसा प्रतित हों रहा था की हमारी आंखे ही सारे प्रश्नो के उत्तर खुद बखुद ही दे रहा हों ..........
अब तक मैं तो उसकी सुंदरता का पुरी तरह से प्रेमी बन चुका था ,तभी भाभी ने भैया की तरफ़ इसारा करके हमारी ओर देखा और हम दोनों को उस प्यार भरे मीठा अहसास से खिच कर वर्तमान समय ले आया और मेरी परी वहाँ से शर्माती हुई चली गयी , पर मैं बावरा सा वही प्रतीक्षा करते हुए इधर - उधर उसे ढूंढता रहा .......
और फिर जाता तो कहा जाता क्योकी मेरे परिवार के अन्य सदस्य भी थे जिसे छोड़ कर जाना था .....
और फिर मुझसे रहा नही गया और मैं फ्रेश होने के बहाने से वहाँ से चला गया ......... क्योंकी परी के जाते वक्त ऐसा लगा की वह मुझे कुछ कहना चाहती हों और बताना भी चाह रही हों ......बहुत समय ढूंढने के बाद वह मुझे अपने मा के साथ मिली और मैं देर ना करते हुऐ मा का चरण स्पर्श किया तथा उसको भी अभिनन्दन कहा..... ...........और परिचय की कड़ी आगे बढा फिर हम एक - दूसरे के बारें जाने और समझे , और साथ ही भविष्य में क्या करनी हैं ये भी आपस में पूछ लिये .........
..मज़ेदार बात यह हैं की मैने जो कल्पना से उसका नाम परी रखा था वो हकिकत में ही परी निकली ......बहुत ही सुंदर चेहरा .....,वो बात करने का भोलापन अंदाज़ .......बहुत ही मधूर आवाज़ .....और बहुत सुंदर आंखे .....और उनसे भी बहुत प्यारी व सुंदर वो खुद लग रही थी ...........मैं तो पुरी तरह से उसके यादो और ख्यालो में खो गया था और मुझे कुछ भी याद नही था ....बस मेरे ख्यालो में एक ही गीत सुनाई दे रहा था .......
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे ........
और यह अहसास बहुत ही प्रबल था ......पता नही इससे पहले कब इतना खुश हुआ हूँ पर इस पल मेरे खुशी का ठिकाना ही नही था .....क्योकी मुझे अपने जिंदगी का सबसे बड़ा खुशी का राज जो मिल गया था | मुझे अब हर पल खुशनुमा और उसी का अहसास पल पल प्रतित हों रहा था ...इतने में वह मुझसे पूछ बैठी .....
आगे क्या करने वाले हों ...?
क्योंकी हम दोनों अपने मास्टर ऑफ science की पढ़ाई पूरा कर लिए थे....और आगे की प्लैनिंग भी हमारे ही हाथ में होगा क्योंकी अब जीवन और जिंदगी चलाने का समय होगा .........
और पता नही मैंने धिमी स्वर में कहा कि
" भविष्य में मैं जहाँ भी रहूँ तुम मेरे हमेशा पार्ट ऑफ लाइफ रहोगे "
और वह शर्माती हुई पलके नीचे करके मुस्कुराने लगी ........मानो मुझे ऐसा लग रहा था की उसने भी कुछ ऐसा ही हामी भर दी हों , क्योंकी उस समय मैंने उसकी आंखे और हावभव पढ पाया की हम दोनों एक - दूसरे को पसंद करने लगे हैं ........फिर क्या इसे भाग्य कहे या इततेफाक दोनों ने एक साथ प्यार और पसंद का इज़हार एक साथ ,एक ही स्वर में किये .........शायद उस भगवान का भी यही इच्छा था की हम साथ रहे ..............आगे समय ऐसी ही गुजरता गया,....
और उधर दूसरे तरफ़ शादी पूरा होने की चरम सीमा पर था ........तभी उसने मुझसे कहा की आपको मैने पहले भी देखा हैं , मैं आस्चर्य चकित हुआ .....और सहसा पूछ बैठा ......कहाँ ...?
तब उसने कहा ......जब आपको inspire schollership अवॉर्ड और greduation में gold medle से सम्मानित किया जा रहा था .........
ओ फिर भी, मैं सोच में था ....और हलका सा मुस्कान अपने होठो पर लाया .....अभी परी की बातें खत्म नही हुई थी की कह उठी .....तभी से मैं तुम्हें पसंद करती हूँ ......उस वक्त मेरे खुशी का ठिकाना ना रहा और मैं जस्बाती होकर परी के गले से लग गया ........
और कहा कि
" you are always part of my life ,I really like you.
I love you dear "
और भगवान से भी ty कहा क्योंकी उसके इच्छा के बिना कुछ नही होता ....., अब विदा लेने का समय निकट था पर उसे छोड़कर जाने का बिल्कुल भी मन नही था और इस यादगार पल के बीच में फेमली एल्बम में हम दोनों कहीं नही थे , क्योंकी हम दोनों की एक अलग ही दुनिया बन चुका था ........और आगे मिलने के वादो के साथ मैं भैया -भाभी के साथ चल पड़ा ......
पर देखो कुछ km चलने के बाद पता चला की मैं जल्दी जल्दी मे no लेना ही भूल गया, वो भी परी से ....
पर मेरे निराश चेहरे देख कर भाभी ने पुछा .......तब सारी बातें मैने भाभी से कहा .....तभी उसी समय मेरे mobile में कॉल आया .....मैने देखा तो unknown number था ....पता नही दिल ज़ोरो से धड़क रहा था और फिर हिम्मत करके कॉल receive किया .....तो सामने से बहुत ही मीठी स्वर मे आवाज़ आयी .....
" You are पार्ट of my life "
......... मैं तुरंत ही पहचान गया और मेरे होठो पर फिर से मुस्कान छा गया और मेरे खुशी का ठिकाना ना रहा .......मैने उस खुदा का शुक्रिया किया ..................अपने घर की ओर निकल पड़ा ....|
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