लोक सभा चुनाव 2019: मई 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने लगभग 92 विदेशी दौरे किए, जो कि कुल 57 देशों में थे। आंकड़े ये भी बताते हैं कि नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की तुलना में लगभग तीन गुणा विदेशी दौरे किए।
लोक सभा चुनाव 2019: वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अक्सर विपक्ष और आलोचक धड़े ने आरोप लगाया कि पीएम पांच साल के कार्यकाल में सिर्फ विदेशी दौरे करने में व्यस्त रहे। वहीं, बीजेपी और उसके समर्थक पक्ष का इस बाबत कहना है कि पीएम मोदी के अंतर्राष्ट्रीय दौरों से न केवल एशिया में बल्कि दुनिया में भारत का कद उठा है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिरकार पीएम के विदेशी दौरों से देश को क्या हासिल हुआ?
‘ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर बताया गया कि मई 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने लगभग 92 विदेशी दौरे किए, जो कि कुल 57 देशों में थे। आंकड़े ये भी बताते हैं कि नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की तुलना में लगभग तीन गुणा विदेशी दौरे किए। जानिए भारत को इन दौरों से क्या मिला:
- पीएम मोदी ने इन दौरों के जरिए वैश्विक स्तर पर भारत की छवि निवेश के बड़े हब और उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में पेश करने की कोशिश की। उन्होंने बीते साल चीन के वुहान में एक बैठक का इस्तेमाल नई दिल्ली-बीजिंग के बीच डोकलाम विवाद पर तनाव को कम करने के लिए भी किया। हालांकि, कुछ दौरों से समकालीन नतीजे नहीं आए। मसलन 2015 में अचानक पाकिस्तान पहुंच जाना। दावा रहता है कि विदेश मामलों में उनकी कूटनीति ठीक हो रही है, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि वह वैश्विक स्तर पर भारत की रैंकिंग में कोई खासा सुधार या बदलाव नहीं ला सकेगा।
बुलेट ट्रेन लाने की दिशा में काम कर रहा है। हालाँकि, धीमी गति से इस बाबत में भूमि अधिग्रहण की वजह से उन्हें आलोचना का शिकार भी होना चाहिए। वहाँ, 2016 में उन्होंने फ्रांस से 36 राफेल विमानों की डील पर हस्ताक्षर किए। हालांकि, इस सौदे में सरकार पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया, जिसे उसने खारिज कर दिया।
- मोदी सराकर में भारत ने अमेरिका से पहली बार कच्चा तेल और लिक्विफाइड नैचुरल गैस प्राप्त किया। दुनिया में तेल के सबसे बड़े कारोबार सऊदी अमैरको (सऊदी की तेल कंपनी) को भारत की सबसे बड़ी तेल की रिफाइनरी में निवेश के लिए राजीव ने लिया। मोटे तौर पर पीएम मोदी ने खाड़ी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश की और ईरान को भी साधा। हालाँकि, विपक्ष ने पीएम की उस कूटनीति की आलोचना की, जिसमें तेहरान पर बढ़ते अमेरिकी दबाव के बीच वह ईरान से सस्ती दरों पर अनिश्चित तेल नहीं ले पाया।
समय में एफडीआई ने सेवा और कैपिटल-इंटेसिव इंडस्ट्रीज की ओर ध्यान दिया।
- पीएम ने इन दौरों में कई बार जापान के शिंजो आबे और रूस के व्लादिमीर पुतिन से भेंट की। ये उन देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिन्हें भारत को औद्योगिक निवेश और रक्षा तकनीक में सबसे अधिक सहयोग मिला।
धन्यवाद......
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